
नवरात्रि के दौरान श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है. इस दुर्गा सप्तशती को ही शतचण्डि, नवचण्डि अथवा चण्डि पाठ भी कहते हैं. रामायण में लंका पर चढ़ाई करने से पहले भगवान राम ने भी इसी चण्डी पाठ का आयोजन किया था, जो कि शारदीय नवरात्रि के रूप में आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक रहती है.
अलग-अलग अध्याय से मिलता है अलग-अलग फल
दुर्गा सप्तशती के अलग-अलग अध्यायों का अपना-अपना महत्व है. यदि भक्तिभाव से इसका पाठ किया जाए तो फल बड़ी जल्दी मिलता है लेकिन लालच से किया पाठ फल नहीं देता. दुर्गा सप्तशती के प्रत्येक अध्याय से क्या फल मिलता है और दुर्गा सप्तशती के पाठों का अलौकिक महत्व क्या है. आज हम यहां आपको दुर्गा सप्तशती पाठ के बारे में सभी जरूरी और महत्वपूर्ण जानकारियां देंगे.
अध्याय 1– इसके पाठ से सभी प्रकार की चिंता दूर होती हैं एवं शक्तिशाली से शक्तिशाली शत्रु का भी भय दूर हो जाता है. इतना ही नहीं दुर्गा सप्तशती के पहले अध्याय का पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है. ये पाठ सभी प्रकार की चिंता मिटाने के लिए, मानसिक विकारों की वजह से आ रही अड़चनों को दूर करने के लिए, मन को सही दिशा की ओर ले जाने में और खोई हुई चेतना को वापस लाने में जबरदस्त प्रभाव दिखाता है.
अध्याय 2- इसके पाठ से बलवान शत्रु द्वारा घर एवं भूमि पर अधिकार करने एवं किसी भी प्रकार के वाद-विवाद आदि में विजय प्राप्त होती है. मुकदमे, झगड़े आदि में विजय पाने के लिए यह पाठ काफी काम करता है. लेकिन झूठे और गलत काम करने वालों को इसका कोई फल नहीं मिलता.
अध्याय 3- तृतीय अध्याय के पाठ से युद्ध एवं मुकदमे में विजय, शत्रुओं से छुटकारा मिलता है. शत्रु से छुटकारा पाने के लिए, यदि बिना कारण ही आपके शत्रु बन रहे हैं और नुकसान का पता न चल रहा हो कि ऐसा कौन कर रहा है तो यह पाठ उपयुक्त है.
अध्याय 4- इस अध्याय के पाठ से धन, सुंदर जीवनसाथी एवं मां की भक्ति की प्राप्ति होती है. भक्ति, शक्ति तथा दर्शन के लिए, जो लोग साधना से जुड़े होते हैं और समाजहित में साधना को चेतना देना चाहते हैं तो यह पाठ फल देता है.
अध्याय 5- इस अध्याय के पाठ से भक्ति मिलती है, भय, बुरे स्वप्नों और भूत प्रेत बाधाओं का निराकरण होता है. भक्ति, शक्ति तथा दर्शन के लिए, जिंदगी से परेशान हो चुके लोग जो यह सोचते हैं कि हर मंदिर-दरगाह जाकर भी कुछ नहीं मिला उन्हें इसका नियमित रूप से पाठ करना चाहिए.
अध्याय 6– इस अध्याय के पाठ से समस्त बाधाएं दूर होती हैं और समस्त मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है. डर, शक, बाधा दूर करने के लिए, राहु का अधिक खराब होना, केतु का पीड़ित होना, तंत्र, जादू, भूत इस तरह के डर पैदा करता है तो आप इस अध्याय का पाठ करें.
अध्याय 7- इस अध्याय के पाठ से ह्रदय की समस्त कामना अथवा किसी विशेष गुप्त कामना की पूर्ति होती है. हर मनोकामना को पूरा करने के लिए, आप जो सच्चे दिल से कामना करते हैं जिसमें किसी का अहित न हो तो यह अध्याय कारगर है.
अध्याय 8- इस अध्याय के पाठ से धन लाभ के साथ वशीकरण प्रबल होता है. मिलाप और वशीकरण के लिए यह अध्याय काफी कारगर माना गया है. हालांकि, गलत इरादों से किया जाने वाला वशीकरण आपको उल्टा बुरा परिणाम दे सकता है. इसके तहत सिर्फ भलाई के लिए ही वशीकरण होना चाहिए.
अध्याय 9- इस अध्याय के पाठ से खोए हुए की तलाश में सफलता मिलती है. संपत्ति एवं धन का लाभ भी प्राप्त होता है. गुमशुदा की तलाश, हर प्रकार की कामना एवं पुत्र आदि के लिए, बहुत से लोग जो घर छोड़कर चले जाते हैं या खो जाते हैं, यह पाठ उसके लौटने का साधन बनता है.
अध्याय 10- इस अध्याय के पाठ से गुमशुदा की तलाश में सफलता मिलती है. शक्ति और संतान का सुख भी प्राप्त होता है. गुमशुदा की तलाश, हर प्रकार की मनोकामना एवं पुत्र आदि के लिए, अच्छे पुत्र की कामना रखने वाले या गलत रास्ते पर चल रहे बच्चों को वापस सही रास्ते पर लाने के लिए यह पाठ बहुत फलदायी है.
अध्याय 11- ग्यारहवें अध्याय के पाठ से किसी भी प्रकार की चिंता, व्यापार में सफलता एवं सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है. व्यापार और सुख-संपत्ति की प्राप्ति के लिए. कारोबार में हानि हो रही है, पैसा नहीं रुकता या बेकार के कामों में नष्ट हो जाता है तो यह पाठ आपका जीवन बदल सकता है.
अध्याय 12- इस अध्याय के पाठ से रोगों से छुटकारा, निर्भयता की प्राप्ति होती है एवं समाज में मान-सम्मान मिलता है. मान-सम्मान तथा लाभ प्राप्ति के लिए. इज्जत, जिंदगी का एक हिस्सा है. यदि इस पर कोई आरोप-प्रत्यारोप करता हो तो ये पाठ करना चाहिए.
अध्याय 13- इस अध्याय के पाठ से माता की भक्ति एवं सभी इच्छित वस्तुओं की प्राप्ति होती है. भक्ति प्राप्ति के लिए. साधना के बाद पूर्ण भक्ति के लिए यह पाठ करना चाहिए.
आभार-
तंत्र मंत्र साधना रहस्यम्
#आचार्यशिवममिश्र +91 6392 384127
पं शिवम मिश्र केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर के मेधावी छात्र है, आपने 2015में जनता इण्टर कॉलेज बनियाडीह से हाईस्कूल उत्तीर्ण करने के बाद प्रो.गणेशशंकरविद्यार्थी गुरु जी के निर्देशन में जून 2015 में प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करके केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय लखनऊ के नियमित छात्र रहें आपने प्राक्शास्त्री में सर्वोत्तम अंकों के साथ टाप किया पुनः शास्त्री में द्वितीयस्थान के साथ टाप किया अभी वर्तमान आचार्य अन्तिम वर्ष में अध्ययन कर रहे हैं।